The Ultimate Guide To Shodashi
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Shodashi’s mantra encourages self-willpower and mindfulness. By chanting this mantra, devotees cultivate higher Regulate over their feelings and steps, bringing about a far more conscious and purposeful method of life. This benefit supports personalized advancement and self-willpower.
The graphic was carved from Kasti stone, a exceptional reddish-black finely grained stone utilized to trend sacred pictures. It had been introduced from Chittagong in existing working day Bangladesh.
A unique function of your temple is that souls from any faith can and do supply puja to Sri Maa. Uniquely, the temple management comprises a board of devotees from a variety of religions and cultures.
Worshippers of Shodashi seek out not only substance prosperity but also spiritual liberation. Her grace is claimed to bestow both equally worldly pleasures as well as indicates to transcend them.
॥ इति श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः सम्पूर्णः ॥
This mantra retains the facility to elevate the thoughts, purify views, and link devotees for their increased selves. Allow me to share the in depth great things about chanting the Mahavidya Shodashi Mantra.
षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस Shodashi महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।
सा नित्यं नादरूपा त्रिभुवनजननी मोदमाविष्करोतु ॥२॥
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी पञ्चरत्न स्तोत्रं ॥
Her splendor is really a gateway to spiritual awakening, building her an item of meditation and veneration for people trying to get to transcend worldly needs.
ऐसी कौन सी क्रिया है, जो सभी सिद्धियों को देने वाली है? ऐसी कौन सी क्रिया है, जो परम श्रेष्ठ है? ऐसा कौन सा योग जो स्वर्ग और मोक्ष को देने वाला? ऐसा कौन सा उपाय है जिसके द्वारा साधारण मानव बिना तीर्थ, दान, यज्ञ और ध्यान के पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर सकता है?
श्रीगुहान्वयसौवर्णदीपिका दिशतु श्रियम् ॥१७॥
‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?
स्थेमानं प्रापयन्ती निजगुणविभवैः सर्वथा व्याप्य विश्वम् ।